इस ट्यूटोरियल में, हम जूडिथ थॉमस को प्रस्तुत कर रहे हैं—एक रचनात्मक लाइब्रेरियन जो लाइब्रेरी को खुशी और भागीदारी से भरपूर जगह बनाना पसंद करती हैं। जूडिथ इंटरैक्टिव डिस्प्ले बनाने का अपना तरीका साझा करती हैं—सरल से सेटअप, जो बच्चों को खोजने, व्यक्त करने और योगदान देने के लिए प्रेरित करते हैं।

इस ट्यूटोरियल के माध्यम से, आप जान पाएँगे कि ऐसे डिस्प्ले कैसे बनाए जाएँ जो बच्चों को हाथों से खोज करने, बातचीत करने और अपनापन महसूस करने के लिए प्रोत्साहित करें—ताकि आपकी लाइब्रेरी एक ऐसी स्वागतपूर्ण जगह बने जहाँ बच्चे सिर्फ पढ़ें ही नहीं, बल्कि बनाएँ और साझा भी करें।

इस ट्यूटोरियल में, सुषमा साकपाल, PYP टीचर लाइब्रेरियन, बताती हैं कि एक लिटरेसी फ़ेस्ट को कैसे आनंदपूर्ण उत्सव में बदला जा सकता है। थीम चुनने से लेकर छात्र-नेतृत्व वाले रिव्यू, अतिथि पाठक, और शानदार कैरेक्टर परेड तक—उनके सुझाव दिखाते हैं कि लाइब्रेरी कैसे सचमुच जीवंत हो सकती है!

इस ट्यूटोरियल में, रेश्मा अहमद — स्नेहजोड़ी की संस्थापक — बताती हैं कि कैसे रचनात्मक तरीकों से बच्चे लाइब्रेरी डिस्प्ले के उत्साहित सह-निर्माता बन सकते हैं, जिससे यह स्थान और अधिक रोचक, आनंदपूर्ण और सचमुच उनका अपना बन जाता है।

क्या आप अपनी लाइब्रेरी को ऐसा स्थान बनाना चाहते हैं जहाँ बच्चों की जिज्ञासा बढ़े और वे खुलकर सीख सकें?
यह छोटा-सा ट्यूटोरियल कुछ मज़ेदार और आसान तरीक़े बताता है, जिनसे बच्चे अपने सवाल लिख सकें और खुद जवाब खोज सकें।

आप देखेंगे कि कैसे मिथिली अय्यंगार ने अपनी स्कूल लाइब्रेरी में वंडर वॉल बनाया, और कैसे दीपा अरोड़ा ने आइडिया बॉक्स तैयार किया—जिससे दीवारें, खिड़कियों के पर्दे और पूरा कमरा एक ऐसी जगह बन गया जहाँ बच्चे अपने विचार लिख सकें और दूसरों के साथ साझा कर सकें।

यह ट्यूटोरियल शेल्फ टॉकर्स के बारे में बताता है—छोटे-छोटे नोट जिन्हें किताबों के पास लगाया जाता है, ताकि बच्चों को जल्दी और व्यक्तिगत सुझाव मिल सकें। इससे बच्चे नई किताबें आसानी से खोज पाते हैं, भले ही आप हर बच्चे से अलग-अलग बात न कर सकें।

निरुपमा कौशिक के उदाहरण से पता चलता है कि एक साधारण, मज़ेदार नोट भी बच्चों में जिज्ञासा जगा सकता है और उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकता है।

यह ट्यूटोरियल बताता है कि किसी भी कक्षा, पुस्तकालय या सीखने की जगह में कैसे एक आकर्षक और उपयोगी पाठन कोना बनाया जा सकता है। इसमें गोवा के पर्नेम, जीपीएस अरोबा धारगाल की स्कूल इन-चार्ज श्रीमती प्रांजल कावठणकर और प्रशिक्षित अंग्रेज़ी शिक्षिका श्रीमती प्रीति शेटकोर्गांवकर के अनुभव शामिल हैं। यह दिखाता है कि छोटे-छोटे बदलाव भी बच्चों में पढ़ने की आदत विकसित करने में बड़ा असर डाल सकते हैं।

इस ट्यूटोरियल में, निरूपमा और जोऐन आसान और रोचक तरीक़े बताते हैं, जिनसे बच्चे नई तरह की किताबें खोज सकें, अपनी पसंद बना सकें, और आत्मविश्वास के साथ खुश होकर पढ़ने की आदत विकसित कर सकें।